नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी है। केन्द्र सरकार ने इस संबंध शुक्रवार को गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया, जिसके बाद नारी शक्ति वंदन अधिनियम देश में कानून बन गया है। अब इसके अधिनियम बन जाने से लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। हालांकि आरक्षण नई जनगणना और परिसीमन के बाद लागू किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि इस विधेयक को संसद के विशेष सत्र में पेश किया गया था, जिसे 20 सितंबर को लंबी बहस के बाद लोकसभा ने 2 के मुकाबले 454 सांसदों की सहमति वाले बहुमत से पारित किया था। इसके बाद 21 सितंबर को यह विधेयक राज्यसभा में भी पास हो गया था। संसद में पास होने के बाद विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेजा जाता है। राष्ट्रपति की सहमति मिलने यानी उनके हस्ताक्षर करने के बाद ही विधेयक कानून में तब्दील होता है। महिला आरक्षण विधेयक को शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपनी सहमति दे दी।
हालांकि यह अधिनियम कानून तो बन गया लेकिन अभी इसकी राह में तीन और महत्वपूर्ण पड़ाव हैं, जिन्हें औपचारिक रूप से पूरा करना होगा।
कानून बनने के बाद अब इसे राज्यों से भी मंजूरी मिलनी जरूरी है। अनुच्छेद 368 के अंतर्गत केंद्र के किसी कानून से राज्यों के अधिकार पर अगर कोई असर पड़ता है तो कानून बनने के लिए कम से कम 50 फीसदी राज्यों की विधानसभाओं की मंजूरी लेना आवश्यक होता है। एक तरह से ऐसे कानून को लागू करने से पूर्व कम से कम 14 राज्यों की विधानसभाओं से पारित कराना होगा।
वैसे ये बिल कानून बनने के बाद भी नई जनगणना के बाद ही लागू हो सकेगा, क्योंकि 2021 में कोविड महामारी के कारण 2021 की जनगणना नहीं कराई जा सकी थी। इसका उल्लेख केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में भी किया था। माना जा रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद ही देश में जनगणना का काम शुरू होगा।
जनगणना का काम पूरा होने के बाद लोकसभा और विधानसभा सीटों का नए सिरे से परिसीमन कराना होगा। संवैधानिक नियमों के तहत 2026 तक इस तरह के परिसीमन पर रोक है, इसलिए परिसीमन का काम भी 2026 के बाद ही किया जा सकेगा।