भगवान की शरण में जाने से पापों से मुक्ति मिलती है : शिव प्रसाद नौटियाल

 

जयप्रकाश बहुगुणा 

पुरोला /उत्तरकाशी

 

रामा सिंराई के ग्राम गुन्दियांट गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तृतीय दिवस की कथा में हिमालय के सुप्रसिद्ध कथा वाचक शिवप्रसाद नौटियाल ने कथा वृतांत सुनाते हुए कहा कि भगवान कहते हैं कि ।। सर्वधर्मान्परित्यज मामेकं शरणं व्रज ।। सब धर्मों को त्याग कर एकमात्र मेरी ही शरण में आ जाओ । मैं तुम्है समस्त पापों से मुक्त कर दूंगा ।तुम डरो मत , इस प्रकार अपनी शरण में आए भक्त का पूरा उत्तरदायित्व भगवान अपने ऊपर ले लेते हैं और उसके समस्त पापों को क्षमा कर देते हैं ।

आचार्य ने कहा है कि संसार की समस्याओं ,जन्म, जरा ,व्याधि तथा मृत्यु की निवृत्ति धन संचय तथा आर्थिक विकास से संभव नहीं है। विश्व के विभिन्न भागों में ऐसे राज्य हैं जो जीवन की सारी सुविधाओं तथा संपति एवं आर्थिक विकास से पूरित है, किंतु फिर भी उनके सांसारिक जीवन की समस्याएं ज्यों की त्यों बनी हुई है।वे विभिन्न साधनों से शांति खोजते हैं ।किंतु वास्तविक सुख उन्हें तभी मिल पाता है जब वह भागवत की शरण में आते हैं, भगवान की कथा श्रवण व चिंतन मनन स्मरण करते हैं , इस प्रकार से आज पूज्य ब्यास जी ने नारथ संवाद,राज परिक्षित,भीष्मोपदेश , विदुर जी के विविध प्रश्न,सृष्टि वर्णन की पावन कथा सुनाई । कथा के मुख्य यजमान चद्रमणी नोटियाल व पूरणभक्त नोटियाल सहित समस्त नौटियाल बन्धु हजारों की संख्या में ग्राम व क्षेत्रवासी उपस्थित थे।

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