परिश्रम छोड़कर रोगी मत बनो, भक्ति व मुस्कान छोड़कर तनावपूर्ण जीवन मत जियो: डॉ श्यामसुंदर पराशर

 

जयप्रकाश बहुगुणा 
उत्तरकाशी

काशी विश्वनाथ की नगरी उत्तरकाशी के रामलीला मैदान में अष्टोत्तरशत श्रीमद्भागवत कथा महापुराण आयोजन चल रहा है आज कथा के पंचम दिवस के अवसर पर भागवत मर्मज्ञ परम पूज्य डॉ. श्यामसुंदर पाराशर महाराज जी द्वारा श्रीकृष्ण जन्म के आगे की सुंदर कथा का वर्णन भक्तों को श्रवण कराया । महाराज जी ने कहा कि भद्रम् कर्णेभिः शृणुयाम देवा अर्थात आंखों से भगवान की झांकी देखो कानों से भगवान की कथा सुनो अर्थात कल्याणकारी देखो व बोल बोले। हम कानों से कल्याणकारी शुभ वचन सुनें, आंखों से भगवान की दिव्य झांकी या शुभ वस्तुओं को देखें तथा देवताओं की स्तुति करते हुए जीवन का आनंद लें। उन्होंने कथा सुनाई कि कंस को भय था कि देवकी की आठवीं संतान उसका बध कर देगा, इसी से बचने के लिए उसने भगवान कृष्ण को मारने के लिए पूतना को गोकुल में भेजा। पूतना ने सुंदरी का रूप बनाकर गोकुल में प्रवेश किया। कृष्ण को ढूंढते हुए वह नंद भवन में पहुंच गई। मां यशोदा से बाल कृष्ण को मनुहार करने की आज्ञा लेकर उसने श्रीकृष्ण को अपनी गोद में उठाकर स्तनपान कराना शुरू किया। उसने स्तन में पहले से ही विष लगाया था, प्रभु इस छल को भली-भांति जानते थे, फिर भी उन्होंने स्तनपान जारी रखा। भगवान ने दुग्ध के साथ पूतना के प्राण भी पीने शुरू कर लिया। जान जाती देख पूतना अपने विकराल रूप में आ गई और नंदग्राम से दूर भागने लगी। प्रभु ने स्तनपान जारी रखा और दुग्ध के साथ राक्षसी के प्राण भी पी गए। इस प्रकार भगवान ने पूतना का उद्धार किया। भगवान कृष्ण के बाल्य काल की यह कथा काफी रोचक है। बाद में मां यशोदा ने कृष्ण को पूतना के शरीर से अलग किया। कथा के मध्य में व्यास पीठ पर विराजमान महाराज जी ने यह भी कहा कि परिश्रम छोड़कर रोगी मत बनो व भक्ति व मुस्कान छोड़कर तनावपूर्ण जीवन मत जियो। कृत्रिम हंसी भी छोड़ दे खुलकर हंसे व निरोगी रहना सीखो। इस अवसर पर अष्टादश महापुराण समिति के अध्यक्ष हरि सिंह राणा, महामंत्री रामगोपाल पैन्यूली, व्यवस्थापक घनानंद नौटियाल, संयोजक प्रेम सिंह पंवार, कोषाध्यक्ष जीतवर सिंह नेगी, यजमान के रूप में डॉ. एस डी सकलानी, अरविन्द कुडि़याल, डॉ. प्रेम पोखरियाल, गोविंद सिंह राणा, विनोद कंडियाल, राजेन्द्र सेमवाल, महादेव गगाडी़, कुमारी दिव्या फगवाड़ा, इंजिनियर जगबीर सिंह राणा, भूदेव कुडि़याल, सुदेश कुकरेती, प्रेम सिंह चौहान, रामकृष्ण नौटियाल, राजेन्द्र पंवार, विद्या दत्त नौटियाल, सम्पूर्णा नंद सेमवाल, प्रताप पोखरियाल, दिनेश पंवार, प्रकाश बिजल्वाण, रमेश सेमवाल सहित समिति के पदाधिकारी जगमोहन सिंह चौहान, नत्थी सिंह रावत, प्रथम सिंह वर्तवाल, प्रमोद सिंह कंडियाल, गजेन्द्र सिंह मटूड़ा, शम्भू भट्ट, सुरेश सेमवाल, राघवेन्द्र उनियाल, अजय प्रकाश बडोला, चन्द्र प्रकाश बहुगुणा, अनिता राणा, संतोषी ठाकुर, अर्चना रतूड़ी, ममता मिश्रा, ऊषा जोशी आदि उपस्थित थे नित्य डेव डोलियों के दर्शन प्राप्त करने के साथ हजारों श्रद्धालुओं कथा का रसपान कर रहे हैं। 108 भागवताचार्यों द्वारा प्रतिदिन भागवत का मूल पाठ किया जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *