डीएम ने यमुनोत्री,गंगोत्री क्षेत्र में अतिवृष्टि से क्षतिग्रस्त परिसंपत्तियों के पुननिर्माण और सुरक्षा कार्यों हेतु जारी किये 42.75 लाख रुपये की धनराशि

 

जयप्रकाश बहुगुणा

उत्तरकाशी

जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने गंगोत्री एवं यमुनोत्री धाम तथा जानकीचट्टी क्षेत्र में अतिवृष्टि से क्षतिग्रस्त परिसंपत्तियों को पुननिर्माण और सुरक्षा कार्यों हेतु विभागों को एसडीआरएफ मद से बयालीस लाख पिचहत्तर हजार रूपये की धनराशि आवंटित करते हुए संबंधित अधिकारियोंं से दीर्घकालीन उपायों हेतु आगणन तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को बाढ सुरक्षा के कार्यों को तत्परता से संपादित करने के साथ ही अयांरखाल में क्षतिग्रस्त उत्तरकाशी-लंबगांव मोटर मार्ग को बड़े वाहनों के आवागमन योग्य बनाए जाने हेतु तेजी से काम करने की भी हिदायत दी है।

गत 25 व 26 जुलाई की रात्रि को हुई अतिवृष्टि के कारण यमुनोत्री धाम एवं जानकीचट्टी क्षेत्र में सिंचाई विभाग के सुरक्षा कार्य, तटबन्ध, सिंचाई योजनाएं, घाट एवं घाट क्षेत्र के मार्ग क्षतिग्रस्त हुए थे। इसके अतिरिक्त भूस्खलन व मलवा आने के कारण एवं लोक निर्माण विभाग की अस्थाई पुलिया व यमुनोत्री-जानकीचट्टी पैदल मार्ग विभिन्न स्थानों पर क्षतिग्रस्त हुआ था। नदी के कटाव तथा मलवा आने से फूलचट्टी-जानकीचट्टी राज्य मार्ग एवं खरसाली सहित जानकीचट्टी क्षेत्र अन्तर्गत अन्य पैदल मार्ग भी क्षतिग्रस्त हुए थे। इस क्षेत्र में लगभग 3.50 किमी की 11 केवी एलटी लाईन, 6 ट्रांसफार्मर व लगभग 50 विद्युत पोल तथा श्री यमुनोत्री मंदिर समिति के सामुदायिक के भवन व अन्य परिसम्पत्तियांं को भी नुकसान पहॅुचा था। इसी प्रकार गत 27 जुलाई को गंगोत्री धाम में भागीरथी का जल स्तर बढ़ने से बाढ़ सुरक्षा तटबन्ध क्षतिग्रस्त होने के साथ ही धाम क्षेत्र में कतिपय सामुदायिक व निजी भवनों, आश्रमों सहित घाट क्षेत्र के मार्गों को भी नुकसान पहॅूंचा था।

अतिवृष्टि से प्रभावित उक्त सार्वजनिक परिसम्पत्तियों की आवश्यक सुरक्षा कार्य एवं चारधाम यात्रा व्यवस्था के ष्टिगत तत्काल पुनर्स्थापना कार्य राम्बन्धित विभागों द्वारा युद्ध स्तर पर जारी हैं। जिलाधिकारी द्वारा उक्त परिसम्पत्तियों के अस्थाई रूप से पुनर्स्थापना के दृष्टिगत तात्कालिक रूप से एसडीआरएफ मद से लोनिवि बड़कोट को रू. 10 लाख, सिंचाई खंड पुरोला को रू. 13.50 लाख, विद्युत वितरणा खंड बड़कोट को रू. 10.50 लाख और सिंचाई खंड उत्तरकाशी को रू. 8.75 लाख की धनराशि स्वीकृत की गई है। जिलाधिकारी ने संबंधित विभागों को परिसंपत्तियों की मरम्मत व पुनर्निर्माण के लिए दीर्घकालीन उपायों हेतु आगणन तैयार कर प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए हैं। जिलाधिकारी ने इस सिलसिले में बुधवार 31 जुलाई को संबंधित विभागों एवं कार्यदायी संस्थाओं के अधिकारियों की बैठक भी बुलाई है।

इस बीच यमुनोत्री एवं जानकीचट्टी में नदी के कटाव एवं बाढ सुरक्षा हेतु वायरक्रेट स्थापित करने और जानकीचट्टी में नदी को मूल धारा की तरफ चैनलाईज करने का कार्य तेजी से जारी है। सिंचाई विभाग ने इस काम में बड़ी संख्या में श्रमिकों को जुटाने के साथ ही जानकीचट्टी में दो पोकलेन व दो जेसीबी मशीनें भी नदी में उतारी हैं। लोक निर्माण विभाग के द्वारा शुभम होटल के पास सड़क के ध्वस्त हिस्से में गैबियन वाल तैयार करने के लिए नदी तअ पर आधार बनाने हेतु एक पोकलेन व एक जेसीबी मशीन को जुटाया गया है। विभाग के द्वारा यमुनोत्री पैदल मार्ग के भूस्खलन व नदी के कटाव से प्रभावित हिस्सों के सुरक्षित बनाने के लिए भी अनेक स्थानों पर गैबियन वाल लगाए जाने का काम प्रगति पर है।
उप जिलाधिकारी बड़कोट मुकेश चंद रमोला ने बताया कि यमुनोत्री धाम में स्थिति सामान्य है। इस क्षेत्र में बिजली व पानी की आपूर्ति पहले की बहाल की जा चुकी है और मंदिर परिसर से मलवे की सफाई का काम भी पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि अतिवृष्टि से प्रभावित 40 लोगों को प्रशासन के द्वारा अहेतुक सहायता राशि का मौके पर जाकर वितरण किया गया है।

इधर उप जिलाधिकारी भटवाड़ी बृजेश कुमार तिवारी ने बताया कि गंगोत्री धाम में नदी का जल स्तर कम हो गया है और स्थिति सामान्य है। उन्होंने बताया कि धाम में कांवड़ियों की अत्यधिक आवाजाही होने के कारण घाटों से मलवा हटाने के काम में कुछ समय लग रहा है, कांवड़ यात्रियों की संख्या कम होते ही घाटों पर जमा मलवे को हटाने का काम तेजी से शुरू किया जाएगा। धाम में प्रभावित 15 लोगों को प्रशासन के द्वारा अहेतुक सहायता राशि उपलब्ध कराई गई है।
सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता केएस चौहान ने बताया कि गंगोत्री में घाटों से मलवा हटाने के लिए एक छोटी मशीन काम पर जुटाई गई है। धाम में आरसीसी तटबंधों के कट्स बंद करने का काम प्रगति पर है और वायरक्रेट्स मौके पर पहॅुंचा दी गई है। जल स्तर कम होते ही वायरक्रेट्स लगाने और नदी तल को चैनलाईज करने की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।

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