जयप्रकाश बहुगुणा
मोरी /उत्तरकाशी
सीमांत विकास खंड मोरी के दुरस्त गावों में स्थित सहकारी समितियों के एकीकरण करने से समिति के शेयर धारकों व कास्तकारों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है एकीकरण को निरस्त करने के लिए बुधवार को चिन्हित उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी समिति के नेतृत्व में तहसीलदार के माध्यम से जिलाधिकारी को ज्ञापन भेजा गया है!ज्ञापन में कहा गया है कि
उत्तराखण्ड राज्य का दुरुस्थ विकासखण्ड मोरी जिसमे पहले 7 सहकारी समितियां थी लेकिन उत्तरखण्ड सरकार द्वारा इनको चार समितियों में विलय कर दिया गया है जिससे इन समितियों से जुड़े लोगों को बहुत सी परेशानीयों का सामना करना पड रहा. है। विकास खण्ड मौरी क्षेत्रफल एवं भौगोलिक दृष्टि से अत्यन्त दुरस्य एवं पिछड़ा होने के कारण लोगों की आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। अधिकतर गाँव में सडके ना होने के कारण लोगो को पैदल ही सफर करना पडता है। जिससे किसानो को समितियों तक पहुंचने में बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जिससे किसानो का समितियों से जुडाव खत्म होता जा रहा है।मोरी विकास खंड के डोभाल गांव, साकरी, टिकोची समिति में वर्तमान मे हजारों शेयर धारक है, और समिति का वार्षिक आय व्यय करोड़ों मैं है, इस वित्तीय वर्ष में समितियों द्वारा लाभ अर्जन किया गया है। पर फिर भी किसानो को समिति के कार्य के लिए घर से 25 से 30 किलो मीटर दूर जाना पड़ता है। जबकि सरकार का लक्ष्य है कि हर व्यक्ति को घर पर ही सेवा मिले, जो कही पर भी सार्थक नहीं हो पा रहा है। लोगों को सुविधाएँ होने के बावजुद भी अपनी मुलभूत आवश्यकताओं के लिए बहुत दूर-दूर तक का सफर पैदल एवं गाडीयों से तय करना पड़ता है। जो कही भी न्यायसंगत नहीं है।
ज्ञापन में जिलाधिकारी से मांग की गईं है कि उपरोक्त को मध्यनजर रखते हुए हमारी मागों का निराकरण 15 दिसम्बर 2024 तक नहीं होता है तो हम को मजबूर होकर जन आन्दोलन करने को बाध्य होना पडेगी जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी!ज्ञापन देने वालों में राजेंद्र रावत, विपिन चौहान सहित दर्जनों कास्तकार व जनप्रतिनिधि शामिल रहे!