जयप्रकाश बहुगुणा
बड़कोट /उत्तरकाशी
आजकल जहाँ एक तरफ सोशल मिडिया के माध्यम से निकाय चुनाव में दावेदारों के वोटर सपोर्टर अपने प्रत्याशीयों को जिताने की अपील कर रहे हैँ तो यमुनोत्री से निर्दलीय विधायक अपने सौम्य ब्यवहार के अनुरूप अलग ही अपील से चर्चा में हैँ, हालांकि उनके भाई विनोद डोभाल बड़कोट नगर पालिका से अध्यक्ष पद पर निर्दलीय प्रत्याशी हैँ, लेकिन विधायक संजय डोभाल अपने अंदाज में लोगों से अपील कर रहे हैँ!
यहां पढ़ें विधायक यमुनोत्री की सोशल मिडिया पर पोस्ट पूरी अपील….
*इन दिनों उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव चल रहे है, मैं अपने उन सभी साथियों से निवेदन करता हूं जो इस बार नगर निकाय चुनाव में प्रतिभाग कर रहे है, कि चुनाव को खेल की भावना से देखते हुए आपसी संबंध न बिगाड़े और भाईचारा बनाकर रखें, इतने उत्साहित न हों कि दूसरों को ठेस पहुंचे, क्योंकि चुनाव संपन्न होने के बाद हारने वाले भी हमारे ही है, और जीतने वाले भी हमारे ही है ,, आपसी मतभेद खत्म करके गांव व क्षेत्र के विकास में सभी लोग भागीदार बनें, जो बन जायेगा वह सबका, और उसके लिए सब है,, राजनीति में सिद्धांतो के सवाल पर मतभेद हो सकते हैं, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं होना चाहिए कि हम लोग एक दूसरे के ख़ून के प्यासे हो जाएं या एक दूसरे पर इस प्रकार कीचड़ उछालें कि हमारे लिए कोई ईमान ही न रह जाए। मैं मानता हूँ कि राजनीति हमारे जीवन का 10-12 प्रतिशत हिस्सा ही हो सकता है । 80 प्रतिशत तो मानव ऐसा ही होता है, जिसमें व्यक्तिगत संबंध , एक दूसरे के लिए सदभाव स्नेह और ममत्व होता है। यही मूल्य हमारे जीवन को एक दिशा में ले जाते हैं। अगर इनसे विहीन हमारा जीवन हो और केवल राजनीतिक मतभेदों के कारण हम एक दूसरे के बारे में कुछ भी अच्छा न सोच सकें तो यह एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति होगी ।
राजनीति में किसी भी अप्रिय शब्दों या भावनाओं से एक दूसरे को कष्ट न पहुंचाएं और राजनीति में आपसी संबंध को खराब ना करें, सब के विचार एक जैसे नहीं होते लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम राजनीति के चक्कर में एक दूसरे का सम्मान भूल जाएं।
एक अच्छे नेता का मकसद साफ-सुथरी राजनीति के साथ ही लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करना, लोगों की आवाज को जगह देना और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करना होता है।
सब इंसान बराबर हैं, चाहे वो किसी धर्म या जाति के हों । हमें ऐसा उत्तराखंड बनाना है जहाँ सभी धर्म और जाति के लोगों में भाईचारा और मोहब्बत हो, न कि नफ़रत और बैर हो।
और मैं जनता जनार्दन से भी निवेदन करता हूं की जब राजनीति हमारी ज़िंदगी के तमाम पहलुओं को प्रभावित करती है, तो यह तय करना हमारी ज़िम्मेदारी है कि हमारी राजनीति कैसी होगी* ।
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(साभार :संजय डोभाल की फेसबुक वाल से )