उत्तरकाशी : पारम्परिक पहाड़ी मिठाई अरसा बनाकर अपनी आर्थिकी मजबूत कर रही हैँ महिलाएं

जयप्रकाश बहुगुणा 

उत्तरकाशी

चावल के आटे से बनाई जाने वाली उत्तराखंड की पारम्परिक मिठाई अरसे से स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रही हैँ!अरसा पहाड़ी मिठाई का प्रचलन सदियों से उत्तराखंड में है गढ़वाल मंडल में हर शुभ कार्य में अरसा बनाना शुभ माना जाता है! माघ माह में जब बेटियां अपने मायके आती है तो अरसा तो उन को जरुर दिया जाता है मिठाई के रूप में चालव गुड तिल से ये बनाये जाते हैं जो पोष्टिक होते हैं!उत्तर काशी में समाजिक कार्यकर्ता अजय बडोला ने विगत तीन साल पहले स्वयं साहयता समुह की महिलाओं को इस अरसा बनाने के लिए प्रेरित किया व उन को मार्केट दिलाने का काम किया, आज लोगों के सहयोग से अरसा भी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उतर कांशी में लोग घरों में बना कर रोजगार कर रही है! कालिका स्वयं साहयता समुह व गायत्री महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने इस माह लगभग दो कुंतल से अधिक अरसा बना दिया है!श्रीमती अर्चना नेगी, गीता बहन घर बैठ कर रोजगार कर रही है!अजय बडोला प्रबन्धक पवित्रा लीला बाल वाटिका जोशियाडा ने बताया कि स्वयं साहयता समुह की महिलाओं को यदि सरकार मार्केट उपलब्ध कराये तो एक बहुत बड़ा सवरोजागर उत्पन्न हो सकता है!सरकारी विभागों में अरसा के साथ साथ चोलाई लड्डू, कोदे के आटे की विसकुट का प्रशिक्षण दे कर बैकरी उद्योग यहां खुल सकते हैं ,आज प्रतिभाओ की कमी नहीं है उन का सही मार्ग दर्शन करने की आवश्यकता है, बजार में बडोला गिफ्ट सेंटर में अरसा उपलब्ध रहते हैं! स्वयं साहयता समुह की महिलाओं द्वारा निर्मित अरसों को
देहरादून, हरिद्वार, जयपुर भी लोग भेज रहे हैं, धीरे-धीरे उत्तर काशी में भी अरसा का बजार बन रहा है आज तक जो लोग आगरा खाल से अरसा मंगा रहे थे उन को यहां मिलने पर खुशी है, लोकल लोगों को व्यापार भी मिल रहा है हर साल इस की मांग बढ़ रही है!जिससे यहां के लोगों ख़ासकर महिलाओं की आर्थिकी मजबूत हो रही है!

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