जयप्रकाश बहुगुणा
बड़कोट/उत्तरकाशी
राज्य की बहु उदयेशीय सहकारी समितियों में केंद्रीय सहकारिता नियमावली लागू करने के विरोध में सहकारी समिति कर्मियों के प्रतिनिधि मंडल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है!उपजिलाधिकारी/तहसीलदार बड़कोट के माध्यम से भेजे ज्ञापन में कहा गया है कि बहु उदयेशीय प्रारम्भिक कृषि ऋण सहकारी समितियों के कैडर सचिव व सहकारी समितियों पैक्स के कर्मचारी प्रदेश में सहकारिता आंदोलन के ढाँचे की रीड है, जो प्रारम्भिक कृषि ऋण सहकारी समितियों से अपने अपने क्षेत्र के कृषकों के अंशधन को एकत्रित कर अपनी न्याय पंचायत में लघु कृषकों, बी०पी०एल० परिवारों को अपने अल्प संसाधनों से उनके कृषि कार्यों व अन्य मूलभूत आवश्यकताओं हेतु ऋण उपलब्ध करा रही है!पंडित दीन दयाल उपाध्याय किसान कल्याण योजना का लाभ भी प्रदेश की अति निम्न परिवार तक पहुँचाने का सफल प्रयास पैक्स ने किया है।जबकि प्रदेश के सहकारी समितियों के निबन्धक अपने उपरोक्त परिपत्र पी 1082-85 से सहकारी समितियों के लोकतांत्रिक स्वरूप की हत्या करने का मन बनाये हुए हैं। सचिव व सहकारी समितियों के कर्मचारी पुरजोर विरोध करते है! उक्त सेवा नियमावली को प्रदेश में लागू न किया जाये।ज्ञापन में कहा गया है कि सहकारी समितियों को पैक्स अपने प्रबंधकीय व्यय हेतु किसी भी प्रकार की राजकीय सहायता नाही ले रही है समितियों अपनी अपनी वित्तीय स्थिति के अनुसार ही अपने कर्मचारियों को वेतन भल्ले दे रही है। कर्मचारियों के सम्बन्ध में वर्ष 1983 से यहीं की समितियों में स्टॉफिम पैर्टन लागू है और नवगठित प्रदेश में वर्तमान में स्टॉकिंग पैटर्न परिपत्र सी-128 प्रभावी है। इन पर नये नियम चोप कर प्रबंध कमेटी के अधिकारों का हनन किया जा रहा है जो विधि संगत नहीं है।सहकारी समितियाँ एक स्वायत्तशासी संस्था है, जो समितियों का प्रबंध लोकतांत्रिक रिति से कर रही है। सेवा नियमावली में दी गयी व्यवस्था के अनुसार समिति संचालक मण्डल को पूर्व में अधिनियम, नियमावली व समिति पंजीकृत उपविधियों से प्राप्त अधिकार यथा कर्मचारियों की भर्ती, नियुक्ति, दण्ड, वेतन भत्ते, अवकाश प्रशिक्षण, पदोन्निती, सेवा समाप्ति, अनुशासनात्मक कार्यवाही, सेवाध्युति तथा अन्य अधिकारों को समाप्त कर दिया है जो लोकतांत्रिक प्रबंध व्यवस्था के विरुद्ध है।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी की सेवाओं वेतन भत्ते इत्यादि प्रयोजनो हेतु समितियों के अंशदान द्वारा संचयित कैडर फण्ड जिला स्तर पर ही गठित हो। अंशधारी समितियों द्वारा संचयी हेतु कैडर फण्ड को प्रदेश स्तर पर केन्द्रीयत किया जाना न्यायोचित नहीं है।सहकारी समिति अधिनियम 2003 की धारा 32 (च) व नियमावली 2004 में प्रख्यापित व्यवस्था का अतिक्रमण है और समिति के स्वायत्तशासी स्वरूप को खंडित करेगा।प्रदेश में सहकारिता आंदोलन को और अधिक गतिशील बनाने के लिए बहुप्रतीक्षित पैधनाथन कमेटी के सुझावों को लागू किया जाये, उक्त नियमावली में अत्यधिक विरोधाभास व खामियों है अतः उक्त नियमावली को लागू, किया जाना विधि संगत नहीं होगा। ज्ञापन में मांग की गईं है कि सीएम अविलंब हस्तक्षेप कर अपने निर्णय से समितियों के लोकतांत्रिक स्वायतशासी स्वरूप को बचाने के लिए इस नियमावली को खारिज करने हेतु समबन्धित को आवश्यक दिशा निर्देश जारी करने का कष्ट करेंगे!ज्ञापन देने वालों में सरदार सिंह नेगी, श्याम सिंह राणा, कमलाराम, बरफिया लाल, मंगलसिंह भण्डारी,सुनील राणा, शिवप्रसाद नौटियाल,बृजमोहन,जयवीर राणा,पकंज डोभाल,दिपेन्द्र सिंह, सुरेश कुमार,अर्जुन रावत, पूर्ण सिंह,सुमारी गौड, राजेंद्र सिंह आदि शामिल रहे!