उत्तराखंड Express ब्यूरो
रुद्रप्रयाग–
केदारनाथ धाम की यात्रा के दौरान घोड़े-खच्चरों में एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस के लक्षण सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने बड़ा फैसला लेते हुए 24 घंटे के लिए इन पशुओं की आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है।प्रशासन ने तीर्थयात्रियों से अनुरोध किया है कि वे यात्रा के लिए पैदल डंडी,कंडी या पालकी जैसे वैकल्पिक साधनों का उपयोग करें।
प्रशासन ने पशु संचालकों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे बीमार पशुओं का संचालन न करें।ऐसा करने पर उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशीष रावत ने जानकारी दी कि मार्च माह में केदारनाथ यात्रा में प्रयोग होने वाले कुछ घोड़े-खच्चरों में एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस की पुष्टि हिसार स्थित राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान द्वारा की गई थी। इस बीमारी में आंखों व नाक से पानी आना, खांसी, छींक और बुखार जैसे लक्षण शामिल हैं। तत्पश्चात सभी पशुओं की सीरोलॉजिकल जांच कराई गई थी और केवल नेगेटिव पाए गए पशुओं को ही यात्रा में शामिल होने की अनुमति दी गई थी।
हालांकि, हाल ही में यात्रा मार्ग में कुछ पशुओं की मृत्यु और अन्य में बीमारी के लक्षण देखे गए हैं, जिसके चलते यह एहतियाती निर्णय लिया गया है। इस दौरान सभी संदिग्ध पशुओं को क्वारंटाइन किया जाएगा और उनके सैंपल जांच के लिए फिर से हिसार भेजे जाएंगे।डॉ. रावत ने बताया कि भारत सरकार के पशु चिकित्सा विशेषज्ञों की एक टीम रुद्रप्रयाग पहुंच रही है, जो स्थिति की गहराई से जांच करेगी। रिपोर्ट आने तक घोड़े-खच्चरों की आवाजाही पर रोक बरकरार रहेगी।उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी अस्वस्थ पशु को कार्य में लगाने की पूरी जिम्मेदारी पशु मालिक की होगी,और कानून के तहत दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।