उत्तराखंड Express ब्यूरो
देहरादून
उत्तराखंड के जंगलों मे हर रोज आग लगने की घटनाएं हो रही हैं, वनो मे लगने वाली आग को बुझाने मे फायर वाचरो की महत्वपूर्ण भूमिका होती है,आग लगने से अब तक कई वन् कर्मी व ग्रामीण मौत के आगोस मे जा चुके है।अब अल्मोड़ा हादसे के बाद वन महकमा नींद से जाग गया है। विभाग ने विभिन्न प्रभागों में तैनात 2286 फायर वाचरों का बीमा करवाया है। इसमें उत्तरी कुमाऊँ वृत्त के पिथौरागढ़ वन प्रभाग, पिथौरागढ़ में 179, दक्षिणी कुमाऊँ वृत्त के नैनीताल वन प्रभाग, नैनीताल में 270, भूमि संरक्षण वन प्रभाग, नैनीताल में 50, पश्चिमी वृत्त रामनगर वन प्रभाग, रामनगर में 107, गढ़वाल वृत्त के अलकनन्दा भूमि संरक्षण वन प्रभाग, गोपेश्वर में 62, बदरीनाथ वन प्रभाग, गोपेश्वर में 101, सिविल सोयम वन प्रभाग, पौड़ी में 78 गढ़वाल वन प्रभाग, पौड़ी में 70, रुद्रप्रयाग वन प्रभाग, रुद्रप्रयाग में 105, भागीरथी वृत्त के नरेन्द्र नगर वन प्रभाग, मुनिकीरेती में 216, टिहरी वन प्रभाग, टिहरी में 211, यमुना वृत्त के चकराता वन प्रभाग, चकराता में 102, मसूरी वन प्रभाग, मसूरी में 160, टौन्स वन प्रभाग, पुरोला में 160, अपर यमुना वन प्रभाग, बड़कोट में 26, शिवालिक वृत्त के लैंसडाउन वन प्रभाग, कोटद्वार में 74, देहरादून वन प्रभाग में 136, कार्बेट टाइगर रिजर्व में 68, राजाजी टाइगर रिजर्व में 20, गोविन्द वन्य जीव विहार, पुरोला में 62 फायर वाचरों का बीमा करवाया है।