उत्तराखंड एक्सप्रेस ब्यूरो
बड़कोट
यमुनोत्री धाम में अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर यमुना के दर्शन, पूजा-अर्चना एवं यमुना में स्नान करने का विशेष महत्व है। क्षय न होने वाली तिथि अक्षय तृतीया को यमुना में स्नान करने से ज्ञान और भक्ति दोनों की ही प्राप्ति होती है। मान्यता है कि चार धामों में से सबसे पहले यमुनोत्री धाम के दर्शन किए जाते हैं। जिसके बाद श्रद्धालु गंगोत्री, केदारनाथ और फिर बद्रीनाथ के दर्शन करते हैं।
विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले की बड़कोट तहसील से 50 किलोमीटर दूर है। यहां यमुनोत्री धाम के अंतिम पड़ाव जानकीचट्टी तक वाहनों से पंहुचते हैं तथा जानकीचट्टी से पांच किलोमीटर पैदल चल कर यमुनोत्री धाम पहुंचते हैं। यमुनोत्री धाम 3230 मीटर की ऊंचाई पर कालिंदी पर्वत की तलहटी पर स्थित है। यमुनोत्री धाम की यात्रा करने और यमुना में स्नान करने से मनुष्य के सभी पापों का नाश हो जाता है और यम यातना से भी मुक्ति मिलती है। देश विदेश से लाखों की संख्या में प्रतिवर्ष श्रद्धालु मां यमुना के दर्शनों व यमुना में स्नान करने को लेकर यमुनोत्री धाम पहुंचते हैं। यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव कृतेश्वर उनियाल व प्रवक्ता बागेश्वर कहते हैं कि कभी क्षय न होने वाली तिथि अक्षय तृतीया को यमुना में स्नान करने से ज्ञान और भक्ति की प्राप्ति होती है। मां यमुना भक्ति स्वरूप है और गंगा ज्ञान स्वरूपा चार धामों में से सबसे पहले यमुनोत्री धाम के दर्शन किए जाते हैं। जहां से भक्ति प्राप्त होती है, गंगोत्री की यात्रा करने से ज्ञान, केदारनाथ की यात्रा करने से वैराग्य और बद्रीनाथ धाम की यात्रा करने से मोक्ष बैकुंठ की प्राप्ति होती है।
यमुनोत्री में यमुना की स्वागत की तैयारियां पूरी
हर वर्ष यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर अभिजीत मुहूर्त में खोले जाते हैं। इसी दिन मां यमुना अपने भाई शनि देव की अगुवाई में खुशीमठ से यमुनोत्री धाम जाती हैं। यमुनोत्री धाम में मां यमुना के स्वागत की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मंदिर समिति द्वारा यमुना मंदिर को फूल मालाओं से सजाया गया है। यमुना के यमुनोत्री पहुंचने के बाद विधिवत पूजा-अर्चना करने के बाद यमुनोत्री धाम के कपाट छह माह तक ग्रीष्म काल के लिए देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे।
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शनिदेव जाते हैं यमुना को छोड़ने यमुनोत्री धाम
हर साल अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर मां यमुना शीतकालीन प्रवास व अपने मायके खुशीमठ से यमुनोत्री धाम जाती हैं। खुशीमठ से यमुना के भाई शनिदेव महाराज यमुना को छोड़ने यमुनोत्री धाम जाते हैं। अक्षय तृतीया के पर्व पर सुबह खुशीमठ में परंपरा अनुसार पूजा अर्चना की जाती है। जिसके बाद पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ शनि देव की अगुवाई में मां यमुना की डोली सुबह 6 बज कर 29 मिनट पर खुशीमठ से प्रस्थान करेगी तथा यमुनोत्री धाम पहुंचकर शुभलग्नानुसार 10 बजकर 26 मिनट पर यमुनोत्री धाम के कपाट दर्शनार्थ खोल दिये जायेंगे। जहां ग्रीष्मकाल में छह माह तक यमुना विराजमान रहेंगी और यहीं पर देश विदेश से आने वाले श्रद्धालु यमुना के दर्शन करते हैं।
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इस बार 10 मई को अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर खुलेंगे यमुनोत्री धाम के कपाट
विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर शुक्रवार 10 मई को सुबह 10 बजकर 29 मिनट पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ देश-विदेश के श्रद्धालुओं के लिए दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे। जिसके बाद श्रद्धालु ग्रीष्म काल में 6 माह तक मां यमुना के दर्शन यमुनोत्री धाम में कर सकेंगे।
शुभमुहूर्त के अनुसार यमुनोत्री धाम के कपाट वैशाख शुक्ल अक्षय तृतीया के पर्व पर शुक्रवार 10 मई 2024 को रोहिणी नक्षत्र कर्क लग्न की पावन बेला पर पूर्वाह्न 10 बजकर 29 मिनट पर विधिवत पूजा अर्चना के बाद मां यमुना के कपाट दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे। इसी दिन प्रातः 6 बजकर 29 मिनट पर मां यमुना की उत्सव डोली परंपरानुसार शनिदेव महाराज की डोली की अगुवाई में ढोल नगाड़ों के साथ शीतकालीन प्रवास खुशीमठ से यमुनोत्री धाम के लिए प्रस्थान करेगी। इसके बाद यमुनोत्री धाम पहुंचकर विधिवत हवन पूजा अर्चना के साथ कपाट खोले जाएंगे और विधिवत यमुनोत्री धाम की यात्रा भी प्रारंभ होने के साथ ही यहां मां यमुना के दर्शन शुरू हो जाएंगे। कपाट खुलने के बाद ग्रीष्मकल में 6 माह तक मां यमुना के दर्शन यमुनोत्री धाम में होंगे, इसके 6 महीने बाद भैया दूज को यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।