उत्तराखंड Express ब्यूरो
श्रीनगर गढ़वाल
बेस चिकित्सालय के बाल रोग विभाग के डॉक्टरों ने टिहरी जिले के हिंडोलाखाल क्षेत्र के सदूरवर्ती गांव के एक नवजात बच्चे का बेहतर इलाज कर उसे जीवनदान दिया है। नवजात शिशु का 30 नवम्बर को बेस चिकित्सालय में जन्म हुआ और जन्म लेने के बाद बच्चा रो नहीं पा रहा था, तो बाल रोग विभाग के डॉक्टरों ने नवजात शिशु का इलाज चलाने के बाद 12 दिन बाद बच्चे की किलकारी गूंजी। बच्चे की किलकारी गूंजने के बाद परिजनों ने खुशी जताते हुए डॉक्टरों का आभार प्रकट किया।
हिंडोलाखाल क्षेत्र के जमाणीखाल के खोला कांडी गांव से प्रसव के लिए पहुंची बबीता पत्नी सुरेन्द्र सिंह ने 30 नवम्बर को नवजात शिशु को जन्म दिया। जन्म दिन के 24 घंटे के भीतर शिशु रोया नही। शिशु का वजन 3 किलो था, किंतु शिशु के ना रोने से परिजन काफी परेशान हो गये थे। बेस चिकित्सालय के बाल रोग विभाग की एसो. प्रोफेसर डॉ. तृप्ति श्रीवास्वत ने बताया कि मेल शिशु जन्म लेने के बाद रोया नही था और शिशु को झटके भी आ रहे थे, जबकि सांस लेने की भी दिक्कतें आ रही थी। जिसको देखते हुए पहले शिशु को आक्सीजन देने के साथ ही दवाईयां चलाई गई। इसके साथ ही अल्ट्रासाउंड सहित तमाम टेस्ट बेस अस्पताल में ही नि:शुल्क कराये गये। डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि परिजन शिशु को जन्म होने के बाद सीधे घर ले जा रहे थे, किंतु शिशु की मां और पिता को समझाया गया, जिसके बाद शिशु को नीक्कू वार्ड में भर्ती कराया और भर्ती के बाद इलाज होने पर 12 दिन बाद शिशु ने रोना शुरु किया गया। जबकि अन्य दिक्कतें भी ठीक हुई। कहा कि 2 जनवरी 2024 को बच्चा स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया। शिशु की माता बबीता ने बताया कि अस्पताल के डॉक्टरों ने बेहतर इलाज कर उनके बच्चे को बचाया गया। इसके लिए उन्होंने बेस अस्पताल के डॉक्टरों व नर्सिंग स्टाफ का आभार प्रकट किया। टीम में बाल रोग विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मोनिका जसल, एसआर डॉ. मिनाक्षी रावत, जेआर डॉ संजना सिंह, डॉ. प्रीती, डॉ. उर्वशी, डॉ. अर्चिता, डॉ. ज्ञान प्रकाश, डॉ. रश्मि, डॉ. रूचिका, डॉ. नव्या और नर्सिंग स्टाफ पंकज, शालिनी, साहिबा आदि शामिल रहे। बाल रोग विभाग के एचओडी डॉ. अशोक शर्मा ने पूरी टीम को बधाई दी, कहा कि विभाग लगातार बच्चों को स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर देने में कटिबद्ध है।