उत्तराखंड Express ब्यूरो
श्रीनगर/पौड़ी गढ़वाल
उत्तराखंड के आयुष एवं आयुष चिकित्सा विभाग ने इस साल भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का पावन त्योहार रक्षाबंधन के लिए बीजयुक्त पेपर संलग्न इको – फ्रेंडली राखियां प्रदेश के हर आयुर्वेदिक चिकित्सालय (आयुष्मान आरोग्य मन्दिर) पर भेजी है। जो राखियां बच्चो की कलाई पर संजेगी ही, साथ ही राखियों की पैकेजिंग पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल की गई है। इसमे बीजयुक्त पेपर पर राखी की पैकेजिंग की गई, जिसमे राखी निकालने के बाद बीज युक्त पेपर को पानी में भीगाकर मिट्टी के अन्दर रोपित कर देना है, जिससे कुछ दिन बाद एक – दो पौधे उत्पन्न होगे । यह पर्यावरण को सतत् बनाए रखने की ओर नया कदम होगा ही, साथ ही रक्षाबंधन का यह पवित्र त्यौहार इको – फ्रेंडली भी होगा। इस तरह की राखियां इन दिनों हर आयुष चिकित्सालय ( आयुष्मान आरोग्य मन्दिर) विभाग के प्रभारी चिकित्सक व उनकी टीम बच्चो को जागरुक कर वितरित कर रही है। आयुष्मान आरोग्य मन्दिर
(आयुष औणी) की प्रभारी चिकित्सक डॉ. कविता रावत ने बताया कि उत्तराखंड सरकार के आयुष एवं आयुष चिकित्सा विभाग की पहल पर इस साल रक्षाबंधन के त्यौहार को पूरी से इको – फ्रेंडली बनाने का संकल्प लिया है। जिसके तहत राखियों की पैकेजिंग एक बीजयुक्त पेपर पर की गई है। जो पर्यावरण को संरक्षित करने में बडी मदद करेगा। इस बीजयुक्त कागज को घर में गमले या किचन गार्डन पर लगा दे, तो उस पर लगा एक- एक बीज एक-एक पौधे को जन्म देगा। उन्होंने कहा कि आयुष विभाग द्वारा बीजयुक्त पेपर से बनी राखिया वितरित की गई है। आयुष विभाग की इस पहल को स्कूल, गाव एवं आयुष केंद्र पर ग्रामीणों और बच्चों को जागरूक कर यह राखी वितरित की गयी है। उन्होने कहा कि इको – फ्रेंडली राखियों से बच्चों को पर्यावरण को बनाए रखने की बचपन से ही सीख मिलेगी। जिससे कि पर्यावरण सन्तुलन हमेशा बना रहेगा।
जिन राखियों की आमतौर पर पैकेजिंग प्लास्टिक और गत्ते के साथ होती है, उससे हर घर से यह कचरा निकलने के कारण पर्यावरण को बहुत नुकसान होता है , जिससे कि मानव के साथ – साथ प्रकृति के हर जीव – जन्तु को नुकसान पहुंचता है। इसके लिए आयुष विभाग ने इस बार बीजयुक्त पेपर संलग्न राखियां बनाई है, जो कि एक अभिनव पहल है । जिस पेपर पर राखी पैक की गई, उस पेपर एक – दो बीज भी है। राखी निकालने के बाद उस बीजयुक्त पेपर को पानी में भिगोने के बाद गमले या किचन गार्डन में बो देना है। जिससे कुछ दिनों बाद एक -दो पौधे गमले अथवा किचन गार्डन में उग आयेगे। इसका मुख्य मकसद है कि देश के हर त्यौहार को इको – फ्रेंडली बनाकर बच्चो को भी बचपन से ही पर्यावरण संरक्षण मे भागीदार बनाना है। आयुष विभाग का यह अभिनव प्रयोग पर्यावरण संरक्षण के लिए भविष्य मे एक मिशाल साबित होगा — डॉ. कविता रावत ( प्रभारी चिकित्सक ) आयुष्मान आरोग्य मन्दिर ( आयुष औणी ) पौड़ी गढ़वाल
आयुष विभाग का यह अभिनव प्रयोग पर्यावरण संरक्षण के लिए एक मिशाल साबित होगा, ऐसा मैं सोचता हूं। एक बच्चा जब राखी पहनकर उसका बीजयुक्त पेपर जमीन के नीचे रखेगा व एक पौधा अपने सामने उगते हुए देखेगा, जीवन पर्यन्त यह स्मृति उसके याद में रहेगी और हर वर्ष वह इस कार्य को करने को प्रेरित रहेगा। ——डा. सीएमएस रावत, प्राचार्य श्रीनगर मेडिकल कॉलेज।