कथा में श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का श्रवण कर वात्सल्य प्रेम में सराबोर हुए श्रोता

–  श्री रथी देवता मन्दिर तत्ला उपू टिहरी मे आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस की कथा मे कथावाचक आचार्य अनिल देव सेमवाल ने कराया कथा श्रवण

उत्तराखंड एक्सप्रेस ब्यूरो

टिहरी 

श्री रथी देवता मन्दिर तत्ला उपू टिहरी मे आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस की कथा मे कथावाचक आचार्य अनिल देव सेमवाल ने कथा श्रवण कराते हुए भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं के चरित्र का विस्तारपूर्वक वर्णन किया।

कथा वक्ता आचार्य अनिल देव सेमवाल ने कहा कि लीला और क्रिया में अंतर होता है। अभिमान तथा सुखी रहने की इच्छा प्रक्रिया कहलाती है। इसे न तो कर्तव्य का अभिमान है और न ही सुखी रहने की इच्छा जताई बल्कि दूसरों को सुखी रखने की इच्छा को लीला कहते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने यही लीला की, जिससे समस्त गोकुलवासी सुखी और संपन्न थे। उन्होंने कहा कि माखन चोरी करने का आशय मन की चोरी से है। कन्हैया ने भक्तों के मन की चोरी की। उन्होंने तमाम बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए उपस्थित श्रोताओं को वात्सल्य प्रेम में सराबोर कर दिया। कथा में ये भी बताया कि गोपियों ने श्रीकृष्ण को पाने के लिए त्याग किया परंतु हम चाहते हैं कि हमें भगवान बिना कुछ किए ही मिल जाए जो कि असंभव है।

इस अवसर पर माई जी श्रीशिवानन्द पुरी,आचार्य मनोज सेमवाल, पंण्डित लोकेन्द्र जुयाल, जनान्द जुयाल अरबिन्द पैन्यूली, भुवनेश भट्ट आदित्य नौटियाल इस आयोजन की मुख्य यजमान श्रीमती वन्दना देवी नौटियाल, श्री मुकेश नौटियाल,सुनिल नौटियाल, सचिन नौटियल महेश, शिवांश,दीपक,मोहित नौटियाल और सेवामे संलग्न श्री धर्मानन्द नौटियाल,महिमानन्द, घनानन्द कृष्णानन्द नौटियाल,सुरेन्द्र नौटियाल,रमेश नौटियाल, राजेन्द्र दिनेश नौटियाल विरेन्द्र जयेन्द्र सुरेश नौटियाल विक्रम सिह राणा एवं समस्त ग्रामवासी सहित अन्य कथा स्रोत मौजूद रहे।

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