संस्कृति:  ढोल,छत्र,मुकुट भेंट कर गांव की बेटियों ने लिया मधेश्वर महाराज का आशीर्वाद , रंवाई घाटी के कोटियाल गांव में धूमधाम से मनाई गई सौंण की जातर

 श्वेता बंधानी / जयप्रकाश बहुगुणा

नौगांव (उत्तरकाशी)

उत्तराखंड को देवभूमि खा जाता है व यहां के कण कण में देवताओं का वास है ऐसी मान्यता सदियों से है।यहां का हर शख्स देवताओं की पूजा करता है।इस पुनीत कार्य में यहां की बेटी बहुए भी पीछे नहीं है।यहां हर सल मेलो का भव्य आयोजन होता है जिसमें सभी गांव की बेटी बहुए बढ़ चढ़कर प्रतिभाग कर अपने आराध्य देव की पूजा करते है।जो लोग उत्तराखंड से ताल्लुक रखते हैं और यहां की सांस्कृतिक विरासत से परिचित हैं,वो जानते हैं कि रंवाई घाटी अपनी सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रचलित है ये हमारी सामूहिक आस्था का ही प्रमाण है कि तेजी से भागते इस ग्लोबल वर्ल्ड में हर साल लोग अपने इष्ट को पूजने और उनकी भेंट( मेले )के लिए दूर दूर से घर आते हैं | लेकिन इस बार कुछ अलग है वो इस बात का प्रमाण है कि हमारी संस्कृति में महिलाओं की सहभागिता के लिए फेमिनिज्म जैसे कॉन्सेप्ट्स की जरूरत नहीं है बल्कि वो इन बिल्ट है । वो देवता भी नचाती हैं , नौकरी भी करती हैं और घर का काम भी ऐसे मौकों पर ये सोचना भी जरूरी हो जाता है कि इस समृद्ध विरासत के हस्तांतरण और बचाए रखने की जिम्मेदारी उन नए कंधो पर है जो नौकरी और रोटी की तलाश में एक शहर से दूसरे शहर भागने को मजबूर है।

ग्राम कोटियालगांव जो कि सदियों से अपनी एक अलग पहचान रखता है चाहे वो शिक्षा,बागवानी या खेती किसानी हो, हर जगह अपनी एक पहचान ये गांव पहले से ही बनाए हुए है।
गांव जो कि चार थोकों के ब्राह्मणों और अनुसूचित जाति के परिवारों का गांव है। गांव के ग्राम देवता मद्देश्वर महाराज है जिनका हर साल सावन माह के 9 गते से 12 गते तक मेला आयोजित होता है मेले का स्वरूप दिव्य और भव्य होता है। पर इस साल का मेला कुछ विशेष था गांव की 360 बेटियों ने अपनी एकजुटता की मिशाल कायम तो की ही साथ ही अपने ग्राम देवता को भेंट स्वरूप सरताज (मुकुट) चलकुंड़िया छत्र और ढोल दिया।
इस मौके पर गांव के लोग बहुत उत्साहित दिखे थोड़ा भावुक भी क्योंकि पिछले एक साल से गांव की तीन बेटियां रचना बहुगुणा विजयलक्ष्मी गौड़ और सुदक्षणा देवी आकस्मिक निधन से चल बसी थी।


जोश जुनून और आपसी मेल मिलाप के इस मौके का वो महीनों से इंतजार कर रहे थे। इस मेले में जो सालों से अपने गांव या मायके नही आ पा रही थी चाहे वो देश विदेश के किसी भी कोने में थी या किसी भी उम्र की रही हो मेले में 90 साल की बहन भी थी जो अपनी धुन में नाचती हुई दिखी।
गांव की तरफ से प्रत्येक बेटी को सम्मान स्वरूप गांव के आराध्य देव की डोली व मंदिर की फोटो स्मृति चिन्ह के रूप में भेंट की गई क्योंकि हम पहाड़ से ताल्लुक रखते है और अतिथि देवो भव की परम्परा को सदियों से निभाते आए है। इस मेले ने अपनी दिव्यता और भव्यता का इतिहास लिख दिया है जिसे आने वाली पीढ़ी हमेशा याद करेगी।
कार्यक्रम का संचालन राजेंद्र नौटियाल जी द्वारा किया गया व मौके पर ग्राम प्रधान श्रीमती सीना देवी,कैलाश नौटियाल संदीप बंधानी,हिमांशु नौटियाल योगेश बंधानी,लोकेश नौटियाल विष्णु बंधानी,अमलेश बिजल्वाण,आर्दश बंधानी,ऋषभ डोभाल, नीतिश बंधानी,प्रभा देवी गंगोत्री देवी,मंजरी देवी,अजुध्या देवी,लक्ष्मी देवी, मीमा देवी,मीना आर्य मंगला देवी,राजेश्वरी नौटियाल आदि लोग उपस्थित थे इस देवकार्य को में विशेष रूप से श्वेता बंधानी,बबिता डोभाल,विनिता डोभाल,प्रियंका सेमवाल,कुसुम बहुगुणा ,👍🌷 कुलवंती बिजल्वाण,विमल नौटियाल ,नंदनी नौटियाल,ममता नोटियाल आदि जैसी बेटियों ने पूर्ण करने का बीड़ा उठाया और उसे बखूबी निभाया देवता के पुजारी बालकृष्ण बिजल्वाण और देवकार्य के पुरोहित मोहन प्रसाद शास्त्री ने सभी बेटियों को आशिर्वाद दिया।

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