उपलब्धि : रंवाई के होनहार दृष्टि दिव्यांग युवा सोहन दास ने की नेट (NET) परीक्षा उत्तीर्ण, क्षेत्रीय लोगों ने दी बधाई व शुभकामनायें

 

जयप्रकाश बहुगुणा

बड़कोट /उत्तरकाशी

 

ज़ब मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो इंसान को मंजिल तक पहुंचने से कोई भी बाधा नहीं रोक सकती है!फिर एक आम इंसान हो या किसी अंग से दिव्यांग ही क्यों न हो अपनी मंजिल को संघर्ष कर पा ही लेता है!एसा ही एक युवा है सोहन दास, जो दृष्टि दिव्यांग है, बड़कोट तहसील के ग्राम झूम राडा गाँव निवासी मंजल दास व कंवरी देवी के दृष्टि दिव्यांग बेटे ने सभी बधाओं को पछाड़ते हुए नेट की परीक्षा उत्तीर्ण कर सबको हैरत में डाल दिया है!सोहनदास की इस उपलब्धि पर क्षेत्रीय लोगों ने उनके उज्वल भविष्य की कामना करते हुए बधाई व शुभकामनायें दी है! राज्य दिव्यांग सलाहकार बोर्ड के सदस्य सुरेंद्र सिंह रावत व परमार्थ विजय पब्लिक स्कूल दिव्यांग छात्रावास तुनाल्का की प्रबंधक श्रीमती विजया जोशी व वीरेंद्र जोशी ने सोहनदास की इस उपलब्धि पर कहा कि हमारे लिए यह अत्यंत हर्ष और गर्व का विषय है कि हमारे दृष्टि दिव्यांग छात्र सोहन दास ने राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (NET) उत्तीर्ण कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। यह उपलब्धि न केवल उनकी कड़ी मेहनत और संकल्प शक्ति को दर्शाती है, बल्कि यह भी सिद्ध करती है कि यदि सही मार्गदर्शन, अवसर और आत्मविश्वास मिले, तो कोई भी बाधा सफलता की राह में रोड़ा नहीं बन सकती।
बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी सोहन दास बचपन से ही न केवल पढ़ाई में उत्कृष्ट थे, बल्कि पत्रकारिता से लेकर हिंदी और अंग्रेजी कमेंट्री तक में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं। उनकी आवाज़ और भाषा पर पकड़ ने उन्हें अलग पहचान दिलाई है। उनका कहना है कि “सपने देखने हैं तो बड़े देखो और उन्हें साकार करने के लिए पूरे समर्पण और मेहनत से जुट जाओ।” उनकी यह सोच और आत्मविश्वास ही उन्हें इस मुकाम तक लेकर आया है।

सोहन दास की पारिवारिक स्थिति भी ठीक नहीं थी, लेकिन उन्होंने कभी भी इसे अपनी प्रगति में बाधा नहीं बनने दिया। आर्थिक चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने अपने लक्ष्य को कभी नहीं छोड़ा और पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ते रहे। उनके संघर्ष और सफलता की यह कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए कठिन परिस्थितियों से जूझ रहे हैँ!सोहनदास की इस सफलता में श्रीमती विजयलक्ष्मी जोशी एवं श्री वीरेंद्र दत्त जोशी की भूमिका को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता, क्योंकि उन्होंने न केवल इस विद्यालय की नींव रखी, बल्कि इसे दिव्यांग बच्चों के लिए एक सशक्त मंच भी बनाया। वे केवल एक शिक्षिका या संचालिका नहीं, बल्कि संस्थापक हैं, जिन्होंने इस नींव को मजबूती से खड़ा किया। उनके अथक प्रयासों और संकल्प का ही परिणाम है कि आज यहाँ के छात्र राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं।
सोहन दास ने यह साबित कर दिया कि शारीरिक सीमाएँ कभी भी ज्ञान और दृढ़ इच्छाशक्ति के आगे बाधा नहीं बन सकतीं। उनकी यह सफलता न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे विद्यालय, शिक्षकों और विशेष रूप से दिव्यांग समुदाय के लिए प्रेरणादायक है। यह उपलब्धि यह भी प्रमाणित करती है कि परमार्थ विजय पब्लिक स्कूल अपने दिव्यांग छात्रों को शिक्षा के माध्यम से आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण की दिशा में आगे बढ़ा रहा है।
विद्यालय परिवार इस गौरवपूर्ण क्षण पर सोहन दास को हार्दिक बधाई देता है और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है। उनका यह सफर अन्य छात्रों के लिए भी एक प्रेरणा बनेगा, जिससे वे अपने सपनों को साकार करने के लिए उत्साहित होंगे।सोहनदास की इस उपलब्धि पर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि, ग्रामीणों, शिक्षाविधों ने हर्ष जाहिर किया है!

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