उत्तरकाशी : ग्लेशियर पृथ्वी के जल चक्र के अभिन्न अंग हैँ : डॉ विनोद कुमार

जयप्रकाश बहुगुणा

बड़कोट/उत्तरकाशी

 

अपर यमुना वन प्रभाग बड़कोट के वन विश्राम भवन परिसर में “विश्व ग्लेशियर दिवस व विश्व वन दिवस के अवसर पर एक महत्वपूर्ण विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी में मुख्य अतिथि डॉ. विनोद कुमार, प्राचार्य, पीजी कॉलेज बड़कोट उत्तरकाशी ने प्रतिभाग किया, जबकि गोष्ठी की अध्यक्षता प्रभागीय वनाधिकारी अपर यमुना वन प्रभाग बड़कोट, रविन्द्र पुंडीर द्वारा की गई। इस संदर्भ में मुख्य अतिथि डॉ. विनोद कुमार ने ग्लेशियरों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि ग्लेशियर पृथ्वी के जल चक्र के अभिन्न अंग हैं और इनके पिघलने से न केवल जल संकट बढ़ रहा है, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन, बढ़ते प्रदूषण और अनियंत्रित मानवीय गतिविधियों के कारण ग्लेशियरों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों की जानकारी दी और इनके संरक्षण के लिए विभिन्न उपाय सुझाए।
गोष्ठी में पीजी कॉलेज बड़कोट के असिस्टेंट प्रोफेसर (भूगोल) विनय शर्मा ने विस्तृत चर्चा की और बताया कि औद्योगीकरण, वनों की कटाई और ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते उत्सर्जन के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे जल संकट, बाढ़ और पारिस्थितिक असंतुलन जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। उन्होंने ग्लेशियरों के संरक्षण के लिए वैश्विक और स्थानीय स्तर पर उठाए जा रहे कदमों पर भी जानकारी दी। वहीं, अनुभवी ट्रेकर पंकज रावत ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि ग्लेशियरों में लगातार हो रहे परिवर्तन और पिघलने की गति में वृद्धि एक गंभीर चेतावनी है। उन्होंने कहा कि अगर समय रहते ग्लेशियरों को संरक्षित नहीं किया गया, तो भविष्य में यह मानव जीवन के लिए गंभीर संकट खड़ा कर सकते हैं। गोष्ठी के दौरान, डॉ. ए. के. राय (गोविंद हॉस्पिटल) और उनकी टीम द्वारा उच्च हिमालय क्षेत्रों में ट्रेकिंग के दौरान आने वाली स्वस्थ संबंधी समस्याओ पर विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की गई!
यह प्रशिक्षण विशेष रूप से फील्ड कर्मियों के लिए उपयोगी सिद्ध हुआ, जिससे आपात स्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया देने की उनकी क्षमता को बढ़ावा मिला।
इस अवसर पर एसडीओ, अ0य0व0प्र0 बड़कोट, साधु लाल पलियाल ने वन व ग्लेशियरों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए स्वरचित कविता के माध्यम से वनों की उपयोगिता ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन पर विश्व स्तरीय चर्चाओं एवं नीतियों की जानकारी दी!और फील्ड कर्मियों को ग्लेशियर संरक्षण में अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया। गोष्ठी के अंत में, प्रभागीय वनाधिकारी, अ0य0व0प्र0 बड़कोट, रविन्द्र पुंडीर ने ग्लेशियरों की वर्तमान स्थिति, उनका महत्व, दूषित पर्यावरण से ग्लेशियरों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव और इनके संरक्षण के उपायों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने विशेष रूप से वन विभाग के फील्ड कर्मियों को जागरूक किया और उन्हें ग्लेशियरों के संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया।

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