उत्तरकाशी : वन विभाग द्वारा प्रकाष्ठ की निकासी न दिए जाने से सड़ने की कगार पर है करोड़ों रूपये की वन सम्पदा

 

जयप्रकाश बहुगुणा

पुरोला/उत्तरकाशी

उत्तराखंड वन विकास निगम टौंस लौगिंग प्रभाग पुरोला जनपद उत्तरकाशी में वन विभाग द्वारा वर्ष 2021- 2022 व वर्ष 2022-2023 में वन विकास निगम को आवंटित लौटें जिन लौटों में कि वन विकास निगम ने विदोहन कर प्रकाष्ठ तैयार किया है किंतु वन विकास निगम को वन विभाग द्वारा विगत दो वर्षों से प्रकाष्ठ की निकासी की अनुमति नहीं दी गई है जिससे कि वन विकास निगम उत्पादित प्रकाष्ठ को डिपुओं तक नहीं पहुंचा पाया है।और अब बेसकीमती प्रकाष्ठ गदेरों के किनारे सड़ने की कगार पर है!
वन विभाग द्वारा वन निगम को समय पर प्रकाष्ठ निकासी की अनुमति न दिए जाने से वन निगम द्वारा विदोहन कर उत्पादित प्रकाष्ठ की गुणवत्ता का भी ह्रास हो गई है।यदि यह लकड़ी समय से बिक्री डिपो तक पहुंच जाती तो यह अच्छे दाम पर बिक्री हो जाती! कर्मचारीयों के वरिष्ठ नेता व वन निगम कर्मचारी संघ के मीडिया प्रभारी राजेंद्र राणा ने प्रेस को जारी बयान में जानकारी देते हुए कहा है कि वन विभाग द्वारा वन निगम को समय पर यदि प्रकाष्ठ की निकासी की अनुमति दी होती तो उक्त प्रभाग से वन निगम को करोड़ों रुपए का लाभांश प्राप्त होता जबकि वन निगम को आवंटित लौटों में विदोहन करते हुए प्रकाष्ठ तैयार करने से पूर्व वन विभाग को पेड़ों की रॉयलटी(स्वामित्व कर ) के रूप में धनराशि अदा कर दी गई थी! विभाग द्वारा समय से निकासी न दिए जाने से जहां एक ओर प्रकाष्ठ की गुणवत्ता में भारी कमी आई है वहीं दूसरी ओर वन निगम को करोड़ों रुपए के राजस्व की हानि होनी सम्भावित है, राजेन्द्र राणा ने वन विभाग व वन निगम के उच्चाधिकारियों को इस राजस्व हानि का जिम्मेदार ठहराते हुए बताया है कि यदि वन विकास निगम द्वारा लौटों में कोई अवैध पातन भी हुआ होता तो करोड़ों रुपए की वन सम्पदा (प्रकाष्ठ) की निकासी पर प्रतिबन्ध लगाया जाना उचित नहीं था। टौंस लौगिंग प्रभाग प्रभाग में तकरीबन 4500 ( चार हजार पांच सौ) घन मीटर प्रकाष्ठ जगह – जगह,अलग – अलग ऐसे स्थानों पर चट्टाबन्दी के रूप में संग्रहीत है जहां पर कि अतिवृष्टि (भारी वर्षा) के कारण कभी भी प्रकाष्ठ को क्षति होने की सम्भावना है और वर्तमान में भारी गर्मी के कारण अग्नि काल का समय चल रहा है कभी भी वनाआग्नि के कारण प्रकाष्ठ की क्षति होने की सम्भावना बनी हुई है,किंतु वन विभाग अभी भी वन निगम को प्रकाष्ठ निकासी की अनुमति नहीं दे रहा है! वन निगम के प्रकाष्ठ की क्षति अथवा प्रकाष्ठ में हानि होने की जिम्मेदारी वन निगम कर्मचारियों की नहीं होनी चाहिए यह सब जिम्मेदारी वन विभाग के अधिकारियों व वन निगम के उच्चाधिकारियों की होगी क्योंकि वन विभाग के अधिकारियों के उदासीनता व गैरजिम्मेदाराना रवैया से यह सब देखने को मिल रहा है,हालांकि प्रकाष्ठ की क्षति होने की सम्भावना एवं निकासी समय पर न होने की लिखित सूचना वन विकास निगम कर्मचारी संघ के माध्यम से प्रांतीय अध्यक्ष टी एस विष्ट व प्रांतीय उप महामंत्री दिवाकर शाही ने वन निगम प्रबंध निदेशक को प्रस्तुत की है ।फिलहाल स्थिति यह है कि जिन स्थानों पर यह लकड़ी डंपिंग की गईं है उन स्थानों पर आग और बाढ़ दोनों का खतरा बना रहता है, जिससे किसी भी समय वनाग्नि या गदेरों का जल स्तर बढ़ने से करोड़ों रूपये की वन सम्पदा का नुकसान हो सकता है!

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