उत्तरकाशी : माता पिता की सेवा ही तीर्थ की परिक्रमा हैं :-शिवराम भट्ट

 

राममूर्ति सिलवाल
उत्तरकाशी

पट्टी धनारी के ग्राम सभा पुजारगांव में सिद्धेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में चल रहीं ध्याणीयो द्वारा आयोजित ग्यारह द्विवसीय शिव महापुराण में कथा के आठवें दिन व्यासपीठ पर विराजमान आचार्य शिवराज भट्ट ने भगवान श्रीगणेश एवं कार्तिकेय के चरित्र पर प्रकाश डाला। व्यासजी ने कहा कि गणेश और कार्तिकेय के विवाह की जब तैयारी चल रहीं थीं तो भगवान शंकर पार्वती ने शर्त रखी थी, जो संपूर्ण ब्रह्मांड की परिक्रमा पहले करेगा उसी का विवाह होंगा, कार्तिकेय जी परिक्रमा करने निकले गये, लेकिन गणेश जी ने माता पिता की पूजा-अर्चना और चरण वंदना की, और कहा कि माता पिता से बढ़कर और कोई तीर्थ नहीं है। जिस पर भगवान शंकर और पार्वती प्रसन्न हो गए। और गणेश जी का विवाह करवा दिया, क्योंकि गणेश जी बुद्धि और विवेक के देवता भी है, जिन्होंने बुद्धि का उपयोग कर माता पिता की चरण वंदना ही सर्वोपरि माना। आगे व्यासजी ने कहा कि, सिद्धेश्वर महादेव के सानिध्य में एवं भगवान श्री काशी-विश्वनाथ के इस पुण्य क्षेत्र में शिवमहापुराण कथा सुनने का अंनत पुण्यफल प्राप्त होता है।इस मौके पर पुजारगांव, दड़माली, गवाणा आदि गांव की ध्याड़िया उपस्थित थी, साथ ही शिवमहापुराण समिति से जुड़ी राजधानी नौटियाल, नंदा भट्ट, ललिता पंवार, विशीला राणा, यमनोत्री पयाल,डॉ भगवन नौटियाल, किशोर भूषण सेमवाल, रामकिशोर उनियाल आदि उपस्थित थे।

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