जयप्रकाश बहुगुणा
चिन्यालीसौड़ /उत्तरकाशी
चिनियालीसौड़ क्षेत्र के जंगलों में लगी आग दिन-प्रतिदिन विकराल हो रही है। वन कर्मी भी लगातार बढ़ रही आग की घटनाओं के आगे बेबस नजर आ रहे हैं। सभी की नजरें आसमान पर टिकी हैं। लेकिन इंद्रदेव भी मेहरबान होते नजर नहीं आ रहे। दिन-प्रतिदिन आग की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। जंगलों में लगी आग ने महकमे की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिये हैं।
शनिवार व शुक्रवार को चिन्यालीसौड़ के पीपल मंडी, सुनार गांव, चिनियाली गांव, धनपुर, बनचौरा, जोगथ आदि क्षेत्र के जंगल धू धू कर जलते रहे। वनों की आग के धुवे से मॉर्निंग व इवनिंग वॉक करने वाले लोगो से भरी सड़के वीरान दिख रही है । वही जंगलों की धधकती हुई आग के आबादी वाले इलाकों में पहुंचने से ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के लोगो की बेचैनी बढ़ गई ।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चिन्यालीसौड़ में तैनात डिप्टी सी एम ओ डॉक्टर विनोद कुकरेती ने बताया कि जंगलों में लगी आग के धुएं का स्वास्थ्य पर भारी बोझ पड़ रहा है।अस्पताल में आजकल सर दर्द,गले में दर्द, सांस संबंधी बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
यह वास्तव में हैरानी का विषय है कि फरवरी में वनों को आग से बचाने की तैयारी के बावजूद मई माह में तमाम जंगल धू-धू कर जल रहे हैं। जंगलों में लगी आग ने न महकमे की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि महकमे द्वारा जंगलों को आग से बचाने के लिए फायर लाइन कटान के नाम पर लाखों रुपये पानी की तरह बहाने पर भी सवाल उठाए हैं। दो माह के भीतर ही फायर लाइन कटान कार्यों की पोल खुल गई।
प्रतिवर्ष वन विभाग की ओर से फायर सीजन शुरू होने से पूर्व वन क्षेत्रों में फायर लाइनों की सफाई की जाती है। साथ ही नई फायर लाइनों का कटान भी किया जाता है। मकसद यही होता है कि जंगल के किसी हिस्से में आग लगे तो वह फायर लाइन तक पहुंचते ही बुझा जाए। लेकिन, चिनियालीसौड़ क्षेत्र में जिस तरह जंगल जल रहे हैं, उसने फायर लाइन कटान पर सवालिया निशान लगा दिए हैं।